विधासागर संस्कृत व्याकरण एवं रचना भाग-3
लेखक: डॉ. लल्लन कुमार पाण्डेय (M.A. {संस्कृत}, शिक्षाविशारद, Ph.D., D.A.V. पब्लिक स्कूल, पी.जी.सी, बिहारशरीफ, नालंदा)
प्रकाशक: विद्या पब्लिकेशन, दरियापुर, पटना (बिहार)
पृष्ठ संख्या: 512
उपयोग: हाई स्कूल (CBSE, यूपी बोर्ड, BSEB), कॉलेज (इंटरमीडिएट और डिग्री), सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
भाषा: हिंदी और संस्कृत
पुस्तक का संक्षिप्त परिचय:
‘विधासागर संस्कृत व्याकरण एवं रचना भाग-3’ एक व्यापक और व्यवस्थित पुस्तक है जो संस्कृत भाषा और व्याकरण के गहन अध्ययन के लिए तैयार की गई है। यह पुस्तक विशेष रूप से हाई स्कूल, इंटरमीडिएट, डिग्री और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इस पुस्तक में संस्कृत व्याकरण के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को सरल और सहज भाषा में समझाया गया है। लेखक डॉ. लल्लन कुमार पाण्डेय ने अपने गहन ज्ञान और अनुभव का उपयोग करते हुए संस्कृत के विभिन्न व्याकरणिक नियमों को स्पष्ट और सुसंगठित रूप में प्रस्तुत किया है।
पुस्तक की सामग्री विस्तृत रूप से संस्कृत व्याकरण के प्रारंभिक से लेकर उन्नत स्तर तक के सभी विषयों को कवर करती है। इसमें वर्णमाला, संधि, लिंग, वचन, समास, प्रत्यय और वाक्य रचना जैसे मूलभूत व्याकरणिक विषयों से लेकर तिङन्त, आत्मनेपद-परस्मैपद, वाच्य और अनुवाद जैसे उन्नत विषयों पर भी गहन जानकारी दी गई है। साथ ही, अनुच्छेद लेखन, पत्र लेखन और चित्राधारित वर्णन जैसे व्यावहारिक अभ्यासों को भी शामिल किया गया है, जो छात्रों की लेखन क्षमता को और निखारने में मददगार साबित होते हैं।
पुस्तक की सामग्री:
- संस्कृतभाषा एवं व्याकरण: इस खंड में संस्कृत भाषा और उसके व्याकरण की मूल अवधारणाओं का परिचय दिया गया है।
- वर्ण-प्रकरण: इसमें संस्कृत वर्णमाला, उसके भेद, माहेश्वर सूत्र, उच्चारण स्थान, मात्रा और विराम चिह्नों का वर्णन है।
- संधि-प्रकरण: इसमें संधि, उसके भेद और विभिन्न उदाहरणों के साथ संधियों की व्याख्या की गई है।
- पात्व-षत्व विधान: इस खंड में संस्कृत के पात्व-षत्व नियमों की व्याख्या की गई है।
- पद-प्रकरण: इसमें पद, उसके प्रकार और उपयोग को विस्तार से समझाया गया है।
- लिंग-प्रकरण: पुल्लिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग के नियमों के साथ-साथ उनके विशेष प्रयोगों का वर्णन है।
- बंधन-प्रकरण: वचन के प्रकार और संख्यावाची शब्दों के सर्वलिङ्गक प्रयोग की जानकारी दी गई है।
- सुबन्त-प्रकरण: इसमें संज्ञा, कारक और सुप् प्रत्यय के आधार पर पद रचना की विधियों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
- सर्वनाम: सर्वनाम के भेद, उनके रूप और प्रयोग को समझाया गया है।
- विशेषण: इसमें विशेषणों के प्रकार, रूपांतरण और उनके विभिन्न प्रयोगों का उल्लेख है।
- अव्यय-प्रकरण: अव्यय शब्दों की परिभाषा, उपसर्ग, निपात, क्रियाविशेषण आदि का विवरण दिया गया है।
- तिङन्त प्रकरण: इस खंड में संस्कृत क्रिया, धातु, तिङ् प्रत्यय और लकारों के साथ धातु रूपावलियों का विस्तृत वर्णन है।
- आत्मनेपद एवं परस्मैपद-विधान: इसमें आत्मनेपद और परस्मैपद के नियमों, सूत्रों और उदाहरणों का विवेचन किया गया है।
- वाच्य: सकर्मक, अकर्मक और भाववाच्य धातुओं के प्रयोगों का विवरण दिया गया है।
- घटिका-काल निर्देश प्रकरण: समय का निर्धारण और संबंधित ज्ञान इस खंड में विस्तार से दिया गया है।
- कारक-विभक्ति प्रकरण: कारक और विभक्ति के भेद, परिभाषा और उनके उदाहरणों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।
- समास प्रकरण: समास, उसके प्रकार और विग्रह के विभिन्न उदाहरणों का वर्णन है।
- प्रत्यय प्रकरण: प्रत्ययों के भेद, कृत, तद्धित और अन्य प्रत्ययों के उदाहरणों के साथ व्याख्या की गई है।
- अनुच्छेद प्रकरण: इसमें अनुच्छेद लेखन की विधियाँ और अभ्यास के लिए विभिन्न उदाहरण दिए गए हैं।
- वाक्य-प्रकरण: वाक्य निर्माण की विधियाँ और अशुद्धि-संशोधन की जानकारी दी गई है।
- अनुवाद प्रकरण: हिंदी से संस्कृत और संस्कृत से हिंदी अनुवाद की तकनीक और विधियों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
- पत्र-लेखन प्रकरण: पत्र लेखन के नियम और आदर्श पत्रों के उदाहरण दिए गए हैं।
- चित्राधारित वर्णन: चित्रों के आधार पर वर्णन और व्याकरणिक प्रयोग को इस खंड में समझाया गया है।
- परिशिष्ट खंड: इसमें संस्कृत वाग्व्यवहार, सूक्तियाँ, पर्यायवाची शब्द, श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द, विपरीतार्थक शब्द, और तकनीकी शब्दों के अंग्रेजी अर्थ शामिल हैं।
निष्कर्ष: यह पुस्तक न केवल संस्कृत भाषा की बारीकियों को समझने के लिए बल्कि व्यावहारिक लेखन कौशल और व्याकरणिक समझ को सुदृढ़ करने के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। हाई स्कूल से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले सभी छात्रों के लिए यह पुस्तक अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी।
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